आस्था दीप जला सदगुरु वाक्यों का अनुकरण करो....
'तुलसी' की पूजा करने वालों, 'गंगा' के गीत लिखो
कटीली टहनियों पर भी खिलते हैं महकते फूल,
दुश्मन की हथेली पर भी प्रेम गीत लिखो।
इधर उधर की बातें छोड़ दिल की बात सुनो,
तम की बात नही चाँदनी के गीत लिखो।
दर्द पराया महसूस कर, इंसान कहाने वालों,
इन्सानियत की कलम से प्रेम के नवगीत लिखो।
नये जमाने की चकाचौन्ध मेंभूलेसस्कृतिअपनी,
दादी-अम्मा के रीत -रिवाजों के स्नेहसिक्तसँगीत लिखो।
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उर्मिला सिंह
बहुत सुंदर, गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका भारती जी
Deleteनये जमाने की चकाचौन्ध मेंभूलेसस्कृतिअपनी,
ReplyDeleteदादी-अम्मा के रीत -रिवाजों के स्नेहसिक्तसँगीत लिखो।
काश!लोग समझ पाते इन भावनाओं को। बहुत ही सुन्दर गीत,सादर
धन्यवाद कामनी जी।
Deleteह्रदय से आभार मान्यवर, हमारी रचना को चर्चा मंच पर रखने के लिये।
ReplyDeleteइधर उधर की बातें छोड़ दिल की बात सुनो,
ReplyDeleteतम की बात नही चाँदनी के गीत लिखो।
बहुत हुई तम की बाते और तम ही बढ़ रहा
अब उजालो की चाँदनी ही बाते हो...
बहुत ही सुंदर ...सार्थक सृजन ।
नये जमाने की चकाचौन्ध मेंभूलेसस्कृतिअपनी,
ReplyDeleteदादी-अम्मा के रीत -रिवाजों के स्नेहसिक्तसँगीत लिखो....वाह!वाह!!!और वाह!!!!