Saturday, 10 February 2024

ख्वाब....मन और मैं......

कभी कभी मन ख़्वाबों के .....

वृक्ष लगाने को कहता......

सीचने सावारने को कहता....

दिमाग कहता ....

पगली !तेरे पौधों को सीचेंगा कौन

 किसे फुर्सत है .....

तेरे ख्वाबों को समझने का......

 तेरी आशाओं की .....

  कलिया चुनने का.....

 ये दुनिया वर्तमान को जीती है

  अतीत को भूल जाती है .....

   भविष्य के सपने बुनती है.....

   इस तरह जिन्दगी चलती है 

    जिन्दगी की इतनी सी कहानी है.....

  तुम  हो, तो दुनिया अपनी है

    नही तो एक भूली बिसरी कहानी है।

               उर्मिला सिंह


      


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