ज़ख्म से जब जख्म की आंखे मिली
दिल के टुकड़े हुवे जख्म मुस्कुराए.....।
जख्म ने हंस कर जख्म से पूछा.....
कहो कैसे गुजरे दिन अश्कों के समंदर में...।
अतीत के अंचल के साए में रात गुजरी
दिन की न पूछ यार मेरे की कैसे गुजरी।।
उर्मिला सिंह
वाह! बहुत खूब!
धन्यवाद शुभा जी
सुन्दर
बहुत सुन्दर
आभार आपका मान्यवर
बेहतरीन...
हार्दिक धन्यवाद हरीश जी
वाह! बहुत खूब!
ReplyDeleteधन्यवाद शुभा जी
Deleteसुन्दर
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteआभार आपका मान्यवर
Deleteबेहतरीन...
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद हरीश जी
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