Sunday, 31 March 2024

अन कही व्यथा......

अन कही व्यथा

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अनकही व्यथा दर्द का भंडार है

कहूं किससे दर्द में डूबा संसार है

मन  ठूंठ सा लगने लगा है अब.…

दरक्खत से पत्ते गिरने लगे हैं अब...


जिंदगी धूप में  छांव  ढूढती है 

हर पल ख्वाब के सुनहले सूत बुनती है 

खाली हाथ आए थे खाली हाथ जाएंगे....

इसी एहसास के सहारे सांस चलती है।


ढूंढती रहती आंखें खोए हुवे लम्हों को

हकीकत के चश्में अपनों के चेहरों को

काश फ़साना  बनती न जिन्दगी यूं.....

मौत भी आसान लगती जिन्दगी को।।


सदाए देती हैं ये हवाएं आज भी....

उम्र के पन्नों पर लिखा प्यार का हर्फ आज भी

समझ न पाया ये जग मोहब्बत की बात को

उम्र मोहताज आखिरी सीढियां पार करने को।।


        उर्मिला सिंह

   

             







5 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" मंगलवार 02 अप्रैल 2024 को लिंक की जाएगी ....  http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !

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  2. वाह! सुन्दर भावाभिव्यक्ति उर्मिला जी ।

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  3. बहुत सुंदर सृजन।

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  4. बहुत बहुत सुन्दर

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