दृग जल की मसि बना ,
पल पल के उड़ते पन्नो पर-
सुधियों की कलम से,
स्वांसों के अक्षर लिखती हूँ !
प्रिय याद तुम्हे हर क्षण करती हूँ !!
कैसे भेजूँ सन्देश तुझे ,
मन ही मन बाते करती हूँ ;
जब राह नही मिल पाती है ,
आँखों से झर झर आँसू बहते है !
प्रिय याद तुम्हे हर क्षण करती हूँ !!
स्वर साधना में भी मेरे ,
प्रिय ! गीत विरह के होते है ;
नज़रों से तुम ओझल होते ,
अंतर्मन में ही रहते हो
यादों की शीतल छाया
महसूस हमेशा करती हूँ
असह्य वेदना उर में गुंजित होती!
प्रिह याद तुम्हे हर क्षण करती हूँ!!
#उर्मिल
स्वसों के अक्षर ....
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर और मार्मिक रचना...
स्वसों के अक्षर ....
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर और मार्मिक रचना...
हार्दिक धन्य वाद
ReplyDeleteपिय के इंद्रधनुषी रंगों में रंगी मनोरम प्रस्तुति
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