Saturday 11 March 2017

प्रिय याद तुम्हे हर क्षण करती हूँ

दृग जल की मसि बना ,
   पल पल के उड़ते पन्नो पर-
      सुधियों की कलम से,
          स्वांसों   के   अक्षर  लिखती  हूँ !
          प्रिय याद तुम्हे हर क्षण करती हूँ !!

कैसे भेजूँ सन्देश तुझे ,
   मन ही मन बाते करती हूँ ;
     जब राह नही मिल पाती  है ,
        आँखों  से झर झर आँसू बहते है !
        प्रिय याद तुम्हे हर क्षण करती हूँ !!
      
स्वर साधना में भी मेरे ,
  प्रिय ! गीत विरह के होते है ;
     नज़रों से तुम ओझल होते ,
         अंतर्मन में ही रहते हो
             यादों की शीतल छाया
             महसूस हमेशा करती हूँ
        असह्य वेदना उर में गुंजित होती!
               प्रिह याद तुम्हे हर क्षण करती हूँ!!

                               #उर्मिल

4 comments:

  1. स्वसों के अक्षर ....
    बहुत ही सुंदर और मार्मिक रचना...

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  2. स्वसों के अक्षर ....
    बहुत ही सुंदर और मार्मिक रचना...

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  3. हार्दिक धन्य वाद

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  4. पिय के इंद्रधनुषी रंगों में रंगी मनोरम प्रस्तुति

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