सियासत का खेल .....
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सर्द मौसम भी अब गरम हो रहें है
सियासत में आग के गोले बरस रहें है!
तीखी मिर्ची सी जुबाँ होगई सभी की
नेता संस्कारों की होली जला रहैं है!
दुनियाँ के मालिक राजा राम भी चकित हैं
जिसका घर वही अब बेघर हो रहें हैं!
भक्तों की लम्बी लम्बी कतारे लगी हैं
कोई जनेऊधारी तो कोई गोत्र बता रहें हैं!
सियासत का खेल देखिये चुनावों के समय
सभी को अयोध्या में राम मन्दिर याद आ रहे है!
पुरुषोत्तम राम,अयोध्या नही अब आपके लिए
तुलसी बाल्मीकि आँखों से अश्रु बरसा रहें हैं
भ्र्ष्टाचार गुनाहों की नदी बह रही है यहाँ
रावण ही रावण चहुँ ओर नजर आ रहें है!
रामचरितमानस के राघव, करे किससे शिकायत
सरेआम मर्यादा की, दानव चिता जलारहें हैं!
अविवेकी समाज पर विजय पाना आसान नही
मर्यादा के रक्षक,दुर्दशा भारत की देखो कहाँ जा रहे हैं !!
🌷उर्मिला सिंह
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