Monday 28 January 2019

कैसे कह दें देश आजाद होगया....

आज कल राष्ट्रीयता की भावना कुछ कम होती जारही है।सत्ता आसीन होने की व्याकुलता सभी के ह्रदय में अपनी जड़ जमा रही है।
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शहीदों की वीर गाथाएं सुन ह्रदय जोश से भर उठता है
भरत देश के गौरव को देख ह्रदय खुशी से झूम उठता है
जहां की मिट्टी चन्दन की खुसबू सी सुवासित होती है
वहां के कण कण को नमन करने को दिल मचल उठता है!!
                  परन्तु.....

      मन कैसे  कह दे  मधुमास  आगया
      मन कैसे कह दें देश आजाद होगया !!

जहां "भारत तेरे टुकड़े टुकड़े "होंगे का नारा बुलन्द होता हो
जहां बन्देमातरम  से  परहेज देश के नेताओं को होता हो !!

      मन  कैसे कह दे मधुमास आगया है
      मन कैसे कह दे देश आजाद हो गया है!

जहां सर्जिकल स्ट्राइक पर पश्न चिन्ह लगाया जाता हो
जहां अफज़ल के फाँसी पर अश्क बहाया जाता हो

मन  कैसे  कह दे  मधुमास आगया है !
मन कैसे कह दे देश आजाद हो गया है!!

जहां खुले आम शिक्षा संस्थान में नारा पाक का बुलंद होता हो
सुन कर जहां राज नेताओं की धमनी का लहू नही ख़ौला करता हो!!

       मन कैसे कह दे मधुमास आगया है
       मन कैसे कह दे देश आजाद होगया है।

जहां बचपन फुटपाथों पर पलता ,सोता और मर जाता हो
जहां गरीबों की उम्मीदें सरकारों से हर बार छला जाता हो

       मन  कैसे कह दे मधुमास आगया है!!
       मन कैसे कह दे देश आजाद होगया है!

जहां संसद की गरिमा को तार तार किया जाता हो
जहां सभ्यता संस्कृत को भूल अपशब्दों से प्रहार किया जाता हो!

         मन कैसे कह दे मधुमास आगया!
         मन कैसे कहदे देश आजाद हो गया!!

जहां आज भी नारी को सम्मान नही मिला करता
जहां नारी का दैहिक वैचारिक चीर हरण किया जाता हो !

           मन कैसे कहदे मधुमास आगया
           मन कैसे कहदे देश आजाद होगया!!

माँ भारती के आंखों से  क़तरा क़तरा  दर्द  बहा करता है बोस ,आजाद भगत सिंह जैसे देशभक्तों को ढूढा  करता है!

                          🌷उर्मिला सिंह

4 comments:

  1. बहुत ही सुंदर रचना

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  2. कितने सुन्दर भावो को बिम्बो के माध्यम से सहेजा है। सुन्दर प्रस्तुति।

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  3. धन्यवाद शकुन्तला जी

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