छोटी _छोटी बातें बन जाती जब यादें
शबनमी बूँदी बन पन्नों पर बिखरती यादें!
नीले नीले अम्बर, तारों की छाँओं में तब--
लुका छुपी दिल में खेला करती मधुरिम यादें!
सुख- दुख के मधुमय धूप - छाँह में
पलकों के चिलमन में नृत्य किया करती यादें!
उन यादों की मीठी मीठी कितनी अभिलाषाएं
जीवन प्रांगण को चुप चाप चकित सुरभित करती यादें!
सागर की लहरों सी कलोल करती उर में
आहिस्ता-आहिस्ता जीवन तट से टकरा ओझल होती यादें!
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उर्मिला सिंह.
ReplyDeleteबहुत खूब... ,सुंदर सृजन ,सादर नमन
शुक्रिया कामिनी जी
Deleteहार्दिक धन्य वाद अनिता सैनी जी हमारी रचना को शामिल करने के लिए.
ReplyDeleteबहुत बढ़िया
ReplyDeleteवाह!!!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर।