नव युग की नारी है पँखो में उड़ान भरने दो!
सदियों बाद खुली हवा में खुल के सांस लेने दो!!
अभी कुहरे को कुछ और छटने दो!
अम्बर में कुछ तेज रोशनी होने दो!!
अभी तो जंजीरों को खोले हैं हमने!
विस्तृत गगन को जरा तो तौलने दो!!
नव युग की नारी नव आसमाँ में उड़ान भरने दो!
सदियों बाद खुली हवा में खुल के साँस लेने दो!
लगाये घात अनेको यहाँ बाज बैठे हैं !
उनसे बचने के पैतरे भी सीखने दो!!
पर कतरने को तैयार जल्लाद बैठे हैं
उन्हें सीख देने को खड्ग हाथ लेने दो
नव युग की नारी नव आसमाँ में उड़ान भरने दो!
सदियों बाद खुली हवा में खुल के साँस लेने दो!
समाज की अवहेलना सह जीते रहे सदा
व्यंग वाणों से ह्रदय छलनी होता रहा सदा
कलियाँ मसलती रही अहम हँसता रहा !
अहम की गूंज का हथियार लेने दो जरा!!
नव युग कि नारी नव आसमाँ में उड़ान भरने दो!
सदियों बाद खुली हवा में खुल के साँस लेने दो!
ऋचाएं काव्य सभी आज झूठे हो गये!
तुलसी कालिदास जैसे भाव लुप्त हो गए!!
हमें सीख मत दो सीता और राधा की!
हमें विरांगना बन जीने का आशीर्वाद दो!!
नव युग की नारी नव आसमाँ में उड़ान भरने दो!
सदियों बाद खुली हवा में खुल के साँस लेने दो !
ऊँच नीच धर्म की राज नीत करतें हो सभी!
बलात्कार रेप धर्म की नही, नारी की होती!!
कानून पुलिस सियासत सभी ख़ामोश होते!
आँखो से अंगारे बरसते दरिंदे जब खुले आम घूमते !
नव युग की नारी नव आसमाँ में उड़ान भरने दो!
सदियों बाद खुली हवा में खुल के साँस लेने दो!
#उर्मिला
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