चलते चलते.....
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चलते चलते थक रहे ..... मेरे पाँव को विश्राम दे,
बयाबान मे दिखता नही , आँखों को प्रकाश दे!!
जिन्दगी की दहलीज पे पुकारती हर साँस है
चाहे जो तूँ , मेरी मुश्किलों से , मुझे उबार दे!!
मेरी -आस है विश्वास है मेरी धड़कनो का तार है,
मेरी प्रीत का गीत है मेरे स्वरों में तूँ ही तान है!!
अपने हाथों में मेरा हाथ ले ...... मुझे बेखबर कर,
दुनियाँ की भीड़ में खो न जाऊँ ..... मुझे पहचान दे !!
अदृश्य है, आसपास है, मुझे अनछुआ एहसास दे,
मेरे स्वप्न तेरे स्वप्न हो , सपनों को आसमाँन दे,
तेरीे प्रीत में रँगी रहूँ .…..मुझमें ऐसा रंग भर!
मेरी मायूसियों को .....खुशियों का आकार दे!!
मेरे शब्द शब्द गमक उठे....मेरी लेखनी को वरदान दे!!
अन्तर्गन का चक्षु खुल जाय .....बस यही इक चाह दे
,मन के मन्दिर में बसाऊँ ...... निहारा करूँ तुझे रात दिन
पुकार मेरी तुझ तक पहुँच सके...मेरी आवाज में वो दर्द दे!!
चलते -चलते थक रहे ...मेरे पांव को विश्राम दे.....
🌷उर्मिला सिंह
सुन्दर प्रस्तुति उर्मिला जी बेहतरीन
ReplyDeleteवाह ! बेहतरीन सृजन दी जी अंतरमन से निकली इस आवाज़ वो ज़रूर सुनेगा,आप को हर फ़रियाद के दीदार हो
ReplyDeleteसादर स्नेह
वाह बेहतरीन रचना दी
ReplyDeleteआंखें नम कर दी आपने दी ,
ReplyDeleteहृदयस्पर्शी ,सदा प्रभु का आलंबन मिलता रहे ।
बहुत सुंदर।
हार्दिक धन्यवाद प्रिय कुसुम
ReplyDeleteस्नेहिल धन्यवाद प्रिय अनुराधा
ReplyDeleteशुक्रिया अनिता जी आपका
ReplyDeleteशुक्रिया ऋतु जी
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteस्नेहिल धन्यवाद नीतू
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