Saturday 29 June 2024

टेढ़ी मेढी जीवन राहों की मोड़.....

     उलझे सुलझे रिश्तों की डोर

    टेढ़ी मेढ़ी जीवन राहों की मोड़।

    सोच रहा विचारा व्याकुल मन 

कैसे सुलझाऊं,उलझी गांठों की डोर

    पाऊं कैसे दुस्तर मंजिल की छोर।।

                उर्मिला सिंह