Sunday, 27 May 2018

सांसों की लौ

साँसों की लौ से जलते दीप यादों के देखा है
टिमटिमाते दीपक की लौ पे परवाने को देखा है !!

बहते हैं सपने पिघल अश्कों के समन्दर में, अरमानों को उठती गिरतीे लहरों में देखा है!

कई रंगों के मंजर उजागिर होतें हैं तन्हाइयों में!
हौसला तूफानो से टकराती कश्ती में देखा है!!

अजब सी तपिस जो घेरे है फिज़ाओं को--,
हर तपिस के बाद बदलते मौसम को देखा है!!
                                       
बीहड़ डगर हर कदम पर चट्टानों से टकराते!
‎दर्द काँटो की चुभन का मुस्कानों में देखा है!!
                                             #उर्मिल

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