सियासत का खेल....
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खाये पैसा देश का नव हजार करोड़,
छुपे हुवे विदेश में रहे फुलझड़ी छोड़!
सुन कर फुलझड़ी कूद रहे ज्ञानी सभी,
फैलाते सनसनीें है कसर न कोई छोड़ी!
सियासत दार लड़ रहे ,दे दे ताल ज्ञानी,
सत्य असत्य के पेच में फ़स गई जनता सारी !!
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🌷ऊर्मिला सिंह
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