बेवज़ह घर से निकला न करो
हवाएं क़ातिल हैं समझा करो
मुख पे पर्दा दूर -दूर रहा करो
हवाएं कातिल हैं समझा तो करो।।
दुश्मन बड़ा निर्मम चलाक है दोस्तों
आगोश में लेने को हवाओं में छुपा है
तुमभी चलाकी से रहा करो दोस्तो
हवाएं कातिल हैं समझा तो करो।।
हाथ धोते रहो साबुन से दोस्तों
गरम पानी का सेवन किया करो
गिलोय जूस पी-के इम्युनिटी बढ़ाया करो
हवाएं कातिल हैं समझा तो करो।।
वेक्सिनेशन में देरी न किया करो
भस्मासुर को भस्म करने युक्ति करो
अपनो को अपनो से जिसने दूर किया
कोविड की आखिरी सांस का क्रिया कर्म करो
हवाएं कातिल है समझा तो करो दोस्तों।।1क
अदृश्य शत्रु को भगाना ही होगा दोस्तों
मिल जुल के दर्द को पीना ही होगा दोस्तों
फिर सुनहली भोर की किरणें मुस्काएँगी
जिन्दगी फिर से गुनगुनायेगी दोस्तों।।
एकता की शक्ति से दुश्मन को हराना है
उम्मीदों की दिया से कोविड को जलाना है
नेताओं के अनर्गल प्रवाह में न आना दोस्तों
अन्तर्मन की शक्ति से सभी को जगाना है
फिर वही त्योवहार की खुशिया मनाना है।।
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उर्मिला सिंह
अदृश्य शत्रु को भगाना ही होगा दोस्तों
ReplyDeleteमिल जुल के दर्द को पीना ही होगा दोस्तों
फिर सुनहली भोर की किरणें मुस्काएँगी
जिन्दगी फिर से गुनगुनायेगी दोस्तों।। बहुत खूब
हार्दिक धन्यवाद संदीप कुमार शर्मा जी।
Deleteधन्यवाद प्रीती जी।
ReplyDeleteबहुत बहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद आलोक सिन्हा जी।
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