Friday 7 May 2021

जिन्दगी चन्द सांसों का खिलौना है..

जिन्दगी चन्द सांसों का खिलौना है
कदम  कदम  पर करना यहां  समझौता है

खुशियां गिरवी होती हैं वक्त के हांथों में
इंसा सुख दुख के ताने बाने में उलझा रहता है।

एहसासों की कीमत कौन यहां समझता है
आँसूं खारे पानी सा जम जाया करता है।।

 टुकड़ों में बटी जिन्दगी को जीना कहतें हैं
जीवन पल पल के घावों को समेटा करता हैं।।

जिन्दगी कर्ज है जीने का,चुकाना है इसे यहीं 
गीली आंखों के सपने अंचल में समेटा करता है।।
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                  उर्मिला सिंह










4 comments:

  1. बिल्कुल सही कहा आपने, यथार्थपूर्ण रचना के लिए आपको हार्दिक शुभकामनाएं ।

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    1. हार्दिक धन्यवाद जिज्ञासा जी।

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  2. Replies
    1. हार्दिक धन्यवाद शिवम कुमार पाण्डेय जी।

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