Monday, 5 December 2022

ज्योति पुंज

सुनो ..ज्योति पुंज फिर प्रज्वलित होगा
 तम हारकर जीवन में विश्वास भरेगा...।।

    माना हिय में घनघोर अन्धेरा है
    सूरज पर बादल का पहरा है....
    पवन बहेगा बादल को छटना होगा
    प्राची से सूर्य रश्मियों को हँसना होगा।।

सुनो ..ज्योति पुंज फिर प्रज्वलित होगा....
 तम  हरकर जीवन में विश्वास भरेगा.....।।

   कटिले झाड़ राह तेरा रोकेंगे .....
   जख्मों को देकर ,दिल से खुश होंगे
   पर गुरुर टिका नही किसी का कभी....
   तेरे सत्य के आगे वह भी घुटने टेकेगा..।।
   
सुनो.. ज्योति पुंज फिर प्रज्वलित होगा...
तम हरकर जीवन में विश्वास भरेगा....।।

   सत्य सुचिता क्षमा ही सम्बल होगा
  दया धर्म करुणा राह तुझे दिखायेगा
   संस्कारों की कश्ती बंधी हुई तट पर.....
   आस्था,विश्वास,पथ तेरा अलंकृत करेगा...।।

     सुनो ज्योति पुंज फिर प्रज्वलित होगा....
      तम हरकर जीवन में विश्वास भरेगा.....।।

                   उर्मिला सिंह

4 comments:

  1. आशाओं से परिपूर्ण सुन्दर कविता. सचमुच हर रात का सबेरा होता है.

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  2. जब भी हम निराशा से घिर जाते हैं उसी के मध्य आशा की प्रबलता जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है।जैसे रात के बाद सवेरा उगता है उसी तरह मायूसी के तम को हरने उम्मीदों का जगमगाता ज्योति पुंज उपस्थित हो जाता है।एक प्रेरक भावों की रचना🙏

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  3. प्रिय बहन भाओं की अभिव्यक्ति में आप प्रवीण हैं। स्नेहिल धन्यवाद।

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  4. कटिले झाड़ राह तेरा रोकेंगे .....
    जख्मों को देकर ,दिल से खुश होंगे
    पर गुरुर टिका नही किसी का कभी....
    तेरे सत्य के आगे वह भी घुटने टेकेगा..।।

    सुनो.. ज्योति पुंज फिर प्रज्वलित होगा...
    तम हरकर जीवन में विश्वास भरेगा....।।
    बहुत सटीक
    आशा और विश्वास के साथ मन में उम्मीद की किरण जलती रहे...
    लाजवाब सृजन ।

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