Thursday 4 May 2023

ऐ दिल!आ लौट चलें फिर उस गली

ऐ दिल !आ लौट चलें फिर उस गली 
जो  छोड़ आये थे हम कभी
कुछ लम्हे कुछ पल कुछ यादें...
समेटे अंचल में अपने, गुनगुनाए ।।

ऐ दिल आ लौट चलें फिर उस गली...

वो खुशनुमा शामें गपसप के तराने
छात्रावास की जिंदगी केंटीन के नजारे
सीनियर जूनियर रिश्तों की कहानियां...
भूले नही भूलती छात्रवास की शामेँ.....।।

ऐ दिल आ लौट चलें फिर उस गली

 क्रिसमस की रातें,दीपावली की जगमग
 होली के हंगामें,पिकनिकों की हलचल
 वार्डेन से सिर झुका डाट खाना,मुस्कुराना...
 आज भी याद हैं नादानियों के वो किस्से ....

 ऐ दिल आ लौट चलें फिर उस गली

 भूली उन्मुक्त हंसी,कृतिम मुस्कानअधरों पर
  खो गई जिन्दगी ,जिन्दगी की राहों पर....
 अब न वो दिन रहा न रही महकती बातें
  यंत्र चलित जिन्दगी अदृश्य हुई सुनहली रातें।।
  
   ऐ दिल आ लौट चलें फिर उस गली...

    जिन्दगी पर बेवजह की बंदिशे ....
    ख्यालों पर शून्यता के लगे पहरे.....
    जिस्म वक्त की चक्की में पिसता रहा...
     हम चांद तारों में गुमसुम उलझे रहे।।

    ऐ दिल आ लौट चलें फिर उस गली....
    जो छोड़ आए थे  जिसे हम कभी.....

                  उर्मिला सिंह


2 comments:

  1. बहुत भावपूर्ण रचना

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  2. हार्दिक धन्यवाद प्रिय जिज्ञासा

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