Tuesday, 11 September 2018

मुक्तक


आज न संस्कार है न आपस में प्रेम अजीब सी दुनिया होरही.......एक मुक्तक ....
         .           ***0***
जमाना बदल गया या हवा का रुख बदल गया
लगता है यूँ जैसे हर शख्स का चेहरा बदल गया
मान अभिमान की खाईंया गहरी होती जा रही
आज हर शख़्स के आँखो का पानी मर गया!!

                         🌷उर्मिल

6 comments:

  1. वाह दी बहुत सुन्दर
    गहरी सोच दर्शाती रचना

    चार पंक्तीयाँ काफी हैं
    कहने को हर बात
    सीख रहे हैं हम भी दी
    आज आप के साथ

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    1. प्रिय नीतू हार्दिक धन्य वाद

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  2. बेहद खूबसूरत पंक्तियां उर्मिला जी
    मान अभिमान की खाईंया गहरी होती जा रही
    आज हर शख़्स के आँखो का पानी मर गया!!

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  3. वाह वाह दी आज का सत्य दिखाती गहरी पंक्तियाँ।
    बहुत सुंदर,।

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