Tuesday, 11 September 2018

तन्हाइयाँ

तन्हा....तन्हा...
🌾🌾🌾🌾

साथ है  जहाँ , पर चल रहा  दिल  तन्हा तन्हा,
जख्मों का है कारवाँ चल रहा दिल तन्हा तन्हा!

जो फ़रेब खाये हमने गिला उसका क्या करें
थी इनायत अपनो की संभाला दिल तन्हा तन्हा

चाँद तन्हा,आसमाँ  तन्हा सूरज  भी है तन्हा तन्हा,
दिल मिला कहाँ किसी का,सारा जहाँ  तन्हा तन्हा!

आवारा बादलों सा धुमड़ता रहा ख्याल अपना,
सपने भी कहाँ अपने,छोड़ जायेंगे जहाँ तन्हा तन्हा!

दूर  बहुत  है मन्जिल, धुंधले  हुवे मंजर ये सारे,
धुँवा धुँवा है फ़ज़ा,लौ चिरागों का थरथरा रहा तन्हा तन्हा!!

वादों की पालकी पर बिठा  दिल  तोड़ते रहे सदा
न चाँद न तारे जुगनुओं को दिल ढूढता तन्हा तन्हा!!
                    *****0*****
            .                              🌷ऊर्मिला सिंह
      



No comments:

Post a Comment