Saturday, 26 October 2019

दिपावली

मुट्ठीयों में छुपे जुगनुओं को आजाद कर दो
की दिवाली है आई! 
जिन चिरागों में तेल कम हो उन्हें लबरेज़ कर दो 
की दिवाली है आई! 
हर झोपड़ी जगमगाए कुछ ऐसा जतन कर दो 
की दीवाली है आई! 
आए राम अयोध्या,खुशियों की दीप  जलाओ 
मर्यादित हो जीवन, की दीवाली है आई!! 

5 comments:

  1. खुशियों के दीप जला दो की दीवाली है आई ....
    रोते बच्चों को हँसा दो की दीवाली है आई .....
    अति सुंदर लघु रचना...
    दिल को छूती हुइ ....

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  2. हार्दिक धन्य वाद पुरुषोत्तम जी

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  3. बहुत सुंदर प्रस्तुति दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं दी

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    1. हार्दिक धन्य वाद प्रिय अनुराधा

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