Saturday, 21 March 2020

जिंदाबाद.......

जिंदाबाद - जिंदाबाद ऐ मिलावट जिन्दाबाद 
गरीबों की आहों से करती तूँ ख़ुद को आबाद 
जिंदाबाद - जिंदाबाद......... 

चीनी में चावल में और तूँ ही तूँ है मसालों में 
दालों में तेलों में और तूँ ही तूँ है पूजा के सामानों में 
तेरे दम से बनियों की दुकाने करती कितने जीवन बर्बाद 
जिंदाबाद - जिंदाबाद...... 

दवाओं में दुवाओं में दिखती है तूँ रिश्तों की कतारों में 
इश्क़ में ईमान में तूँ ही तूँ दिखती धरती से आसमान में 
बनावटी मुस्काने,बनावटी मन्दिर मस्जिद की अजाने 
श्रध्दा छुप हुई असत्य की गोद में भगवान भी कैसे सुने फ़रियाद 
जिंदाबाद -जिंदाबाद....... 

दूध दही में तूँ ही आसीन तूँ दोलतमंदो की पूजन अर्चन में 
नेताओं की बात मिलावट दोहरे आचरण के पैमानों में 
मिलावट की आँधी रुक न सकेगी कानूनी बाधाओ से 
देश के नर नारी आंखे खोलो नहीं तो हो जाओगे बर्बाद 

जिन्दाबाद - जिंदाबाद ऐ मिलावट जिन्दाबाद........ 

                    *******0******

                     उर्मिला सिंह 


9 comments:

  1. आज कल हमलोग जो मिलावट से परिपूर्ण जीवन जी रहे हैं उस परिपेक्ष में लिखी गई यह रचना बहुत स्पस्ट रूप से ब्याख्या करती है...
    सच पूछो तो आज का कोई भी क्षेत्र मिलावट से अछूता नही है....

    💐💐मङ्गलमय .....
    सुप्रभात.......💐💐

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  2. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
    २३ मार्च २०२० के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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    1. हार्दिक धन्य वाद श्वेता जी मेरी रचना को साझा करने के लिए

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  3. वाह! बेहद खूबसूरत एवं सार्थक अभिव्यक्ति।

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया सुजाता जी

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  4. वाह!बेहतरीन सृजन ।

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    1. हार्दिक धन्य वाद शुभा जी

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  5. सुंदर लयबद्ध गीत/कविता।
    नई रचना सर्वोपरि?

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  6. हार्दिक धन्य वाद Rohitas ji

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