Thursday, 10 December 2020

पूजा ,अर्चन

क्या पूजा क्या अर्चन..
जब भाव नही पावन।
उस वाणी का क्या करना..
 जब हर्षित न हो मन ।।

 क्या रूप, क्या  लावण्य..
 जब ह्रदय नहीं करुणामय ।
 बहती नदिया का क्या करना..
 जब मन प्यासा रह जाय ।।

  क्या  सोना  चांदी  क्या  महल..
  जब  जख्मों  के न हो  मलहम ।
  उस जीवन का होता कोई अर्थ नहीं..
  देश पे मिटने का जिसमें संकल्प नही।।
  

  क्या होता धर्म  क्या है कर्म..
  जब उर में बैठा दुश्मन अहम ।
  यदि ज्ञान ज्योति नहीअन्तर्मन में..
   रहे तिमिर जीवन के प्रांगण में।।


   क्या होगी सन्तति ,पुत्र - पुत्री..
   यदि मर्म न ममता का समझे ।
   गीत - ग़ज़ल रस विहीन लगे..
   जब शब्द ह्रदय को  छू न सके ।। 
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                            उर्मिला सिंह 
   
   
   
   
  
   
   

 
  
  


  

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