Saturday, 11 September 2021

बमों बारूद के ढेर पर बेठा जमाना है....

जख्मों की इन्तिहा अब होगई
जिन्दगी भी एक इम्तहान होगई।।

 इंसान ही इंसान पर जुल्म करता है
 जहां में प्रभु अब रक्तबीज पैदा करता है।।

होशियारों,फरेबों का बोलबाला है
इंसानी सभ्यता संस्कृति केवल एक बहाना है।

हिटलर से भी ऊंची पदवी मिल गई जिनको
तलवार की नोक पर उनके ज़माना हैं।।

हर जिन्दगी  बमो बारूद के ढेर पर बैठी है
विज्ञान के चमत्कार का विश्व दीवाना है।

           उर्मिला सिंह






4 comments:

  1. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (14-9-21) को "हिन्द की शान है हिन्दी हिंदी"(4187) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
    ------------
    कामिनी सिन्हा






    ReplyDelete
  2. बहुत बहुत आभार कामनी जी हमारी रचना को चर्चा में रखने के लिए। पुनः धन्यवाद

    ReplyDelete
  3. हर जिन्दगी बमो बारूद के ढेर पर बैठी है
    विज्ञान के चमत्कार का विश्व दीवाना है।... वाह! सुंदर।

    ReplyDelete
  4. आभार विश्वमोहन जी।

    ReplyDelete