Tuesday, 30 November 2021

वक्त की महिमा.....

वक्त की बात  क्या कहे 'उर्मिल'
बदलता रहा  रंग वक्त पल-पल।

वक्त के हाथों हँसते रहे रोते रहे
पल-पल जिन्दगी बदलती रही
हम-हम न रहे,तुम -तुम न रहे
जिन्दगी वजूद अपना खोती रहीं।।

लम्हा-लम्हा वक्त सींचते रहे हम
बूंद -बूंद तृष्णा  मिटाते  रहे हम
वक्त अभिमान की चादर उढाता रहा
वक्त का अभियान हमको लुभाता रहा।।

वक्त लम्हा लम्हा पहचान देने लगा
प्रश्न पूछने लगा इम्तहान लेने लगा
वक्त के प्रश्नों का उत्तर  होता नही
सब्र के सिवा पथ दुजा होता नही।।

वक्त से सम्हल सम्हल के रहना सीखो
बेसुरे स्वर सुरों में ढाल के चलना सीखो
वक्त ही था जो श्री राम को राज गद्दी दिया
वक्त ही था जो बनवास का दारुण दुख दिया।।

वक्त की बात क्या कहे 'उर्मिल'
बदलता रहा रंग वक्त पल- पल।।

          उर्मिला सिंह
 
 








5 comments:

  1. बहुत ही सुन्दर रचना

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    1. हार्दिक धन्यवाद प्रिय अभिलाषा।

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  2. सुंदर सराहनीय रचना ।

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  3. जिज्ञासा जी हार्दिक धन्यवाद।

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  4. हार्दिक धन्यवाद जिज्ञासा जी।

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