Friday, 10 December 2021

शायद दिल में उतर जाए .....

शायद दिल में उतर जाए ....
दिल में ही रहने वाले छुए अनछुए पहलू.....जिससे जान कर भी अनजान रहतें हैं...
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बन्द कमरे में वन्दे मातरम कहना और बात है
वतन पर जिन्दगी बलिदान करना ओर बात है।।
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भलाई का बदला दुवा करके भी दिया करो
दुआ के जरिये मुश्किल वक्त में उसका सहारा बन  जाया करो।।
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अच्छी बातें सुन कर ह्रदय पट पर लिखा करो
जो लिखो उसे याद भी किया करो
जो याद करो उसे दूसरों को सुनाया भी करो
 ताकि बुराई का खात्मा,
अच्छाई खुशबू बन  बिखर जाए
सारा संसार ही महक जाए।।
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आपसी मतभेदों को मिटा नया इतहास लिखना चाहिए
एकता के गीत गुनगुना कर दिलों को एक करना चाहिए
बन्धुत्व न्याय के आधार पर मंजिल तय करना चाहिए।।
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बुद्धजीवी कहते किसे समझ न पाया मन बिचारा
हवा का रुख जिधर देखा उधर लुढ़क जाता बेचारा।।
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आंसू का  कतरा कतरा महंगा होता है
कीमत जाने वहीं जिन नयनों से आसूं झरता है।
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       उर्मिला सिंह

20 comments:

  1. वाह!दी सराहनीय सृजन।
    सादर

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  2. हार्दिक धन्यवाद प्रिय अनिता।

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  3. हार्दिक धन्यवाद यशोदा जी हमारी रचना मो मंच पर साझा करने के लिए।

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  4. सु प्रभात वन्दन कामिनी जी!आभार आपका हमारी रचना को चर्चा मंच पर रखने के लिए।। धन्यवाद

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  5. प्रेरक सुक्तियाँ ! बहुत सुंदर थी बहुत ही प्यारे जीवन उपयोगी उद्गार।
    सादर।

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    1. प्रिय कुसुम स्नेहिल धन्यवाद।

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  6. प्रेरणादायक ।
    अच्छी बातों को केवल सुनना या सुनाना ही नहीं गुनना भी चाहिए ।

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  7. Replies
    1. नीतीश तिवारी जी आभार आपका।

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  8. बन्द कमरे में वन्दे मातरम कहना और बात है
    वतन पर जिन्दगी बलिदान करना ओर बात है।।
    आंसू का कतरा कतरा महंगा होता है
    कीमत जाने वहीं जिन नयनों से आसूं झरता है।
    बहुत ही शानदार वह सही बात कही आपने बहुत ही उम्दा प्रस्तुति

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    1. हार्दिक धन्यवाद मनीषा गोस्वामी जी।

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  9. बहुत सुंदर भावपूर्ण प्रेरक अभिव्यक्ति, बहुत शुभकामनाएं आदरणीय दीदी 🙏💐

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    1. प्रिय जिज्ञासा जी बहुत बहुत धन्यवाद।

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  10. प्रेरक और बोधयुक्त सन्देश

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  11. आंसू का कतरा कतरा महंगा होता है
    कीमत जाने वहीं जिन नयनों से आसूं झरता है।
    बहुत सुंदर उर्मि दीदी | आपकी रचना आंतरिक बोध को जगाती है |यदि यही सब हो जाए तो दुनिया में रामराज्य स्थापित हो जाए |

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    1. प्रिय बहन रेणु ।हार्दिक धन्यवाद आपको

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  12. बहुत सुंदर , यथार्थ और आभास में यही फर्क है

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  13. भारती दास जी हार्दिक आभार आपका।

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