योग दिवस पर समर्पित हमारी रचना उस महान व्यक्तित्व को.....
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परिचय भला क्या दूं सभी को अपना
देश की सभ्यता संस्कृति,कर्तव्य अपना
देशभक्ति में डूबा देश का एक रक्षक हूं
मौन गरीबों,क्षुधा पीड़ितों का हुंकार हूं।।
कोई बन्धन नही कैदी हूं केवल देश का
हर सांस पर अधिकार केवल देश का
मुझे रोक सकता नही अब कोई.....
आवाज हूं देश में जन जन के हृदय का ।।
न मरने की चिन्ता न जीने की चिन्ता
कण कण में फूकने भैरव हुंकार लिए चलता
हिन्द की मिट्टी,तुझे छू शपथ आज लेता.....
नही बाधाओं की किया कभी चिन्ता
देश मान,सम्मान है,भारत ही परिचय मेरा।।
योग से लेता प्रेणना निरंतर आगे बढ़ने का
ध्यान, देता आत्मबल सदैव हमारी सोच को
तनाव चिंताओं को प्रतिबंधित कर.....
नित शरीर मन में नव ऊर्जा का संचार करता
शरीर का इससे बढ़कर न कोई मित्र होता।
नित योग करिए जीवन में स्फूर्ति ऊर्जा का संचार करिए।।
उर्मिला सिंह
न मरने की चिन्ता न जीने की चिन्ता
ReplyDeleteकण कण में फूकने भैरव हुंकार लिए चलता
हिन्द की मिट्टी,तुझे छू शपथ आज लेता.....
नही बाधाओं की किया कभी चिन्ता
देश मान,सम्मान है,भारत ही परिचय मेरा।।
वाह!!!
बहुत ही सुंदर...
हार्दिक धन्यवाद सुधा जी
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