सात भांवरों की थकान उतारी न गई
दो घरों के होते हुवे नारी पराई ही रही।
जिन्दगी का सच ही शायद यही है.....
सभी कोअपनाने में अपनी खबर ही न रही।।
पर ये बात किसी को समझाई न गई।।
उर्मिला सिंह
बहुत खूब....
आभार हरीश कुमार जी
सुन्दर
हार्दिक धन्यवाद मान्यवर
बहुत खूब....
ReplyDeleteआभार हरीश कुमार जी
Deleteसुन्दर
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद मान्यवर
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