Saturday 7 July 2018

एक आहट.

आजकल धीरे धीरे एक आहट सुनाई दे रही....   

प्रेम लुप्त हो रहा,क्रूरता नजदीकियाँ बढ़ा रहीं
आजकल धीरे धीरे एक आहट सुनाई  दे  रही
ऐसा  फैला जाल उजली आत्मा कलुषित हो रही
इंसानी व्यक्तित्व पर साँसे उसकी महसूस हो रहीं सौहार्द हो रहा विलुप्त   क्रूरता जड़ जमा रही

आजकल धीरे धीरे एक आहट सुनाई  दे रही....

क्रोध,ईर्ष्या,द्वेष,व्यभिचार आक्रामक हो रहे
क्षमा शील ह्रदय आज सूखी नदिया हो गये
क्रूरता, श्रेष्ठता की मसाल ले आगे बढ़ती जा रही
प्रेम का आभाव  इंसानी जीवन श्रीहीन बना रही

आज कल धीरे धीरे एक आहट सुनाई दे रही....

मानव रोक लों अभी भी क्रूरता के मनहूस सायें  को
मन को छलनी करेगी ये , लील जाएगी मानवता को
धीरे धीरे मानव आदी हो जाएगा इस कुकृत्य का
खून की नदियाँ  बहेगीं  नृत्य  होगा व्यभिचार का
आत्मा न  आहत   होगी ,  आँसूँ  न  आहें  भरेगी

आज कल धीरे धीरे एक आहट सुनाई दे रही.....

दया धर्म करुणा का नामो निशान मिट जाएगा
बहती करूणा  की  नदी आंखों में सूख जाएगी
मछेरे जाल फैलाएं गे  मछलियाँ  तड़ फड़ाएं गीं
होगा हथियारों का बोल बाला सहमी हर कली होगी
इस  विकराल  दानव  से  इंसानियत  बच  न पाएगी

आज कल धीरे धीरे एक आहट सुनाई दे रही......!!

                                                  # उर्मिल











No comments:

Post a Comment