Tuesday, 10 September 2019

अंतर्मन की लहरों से निकली कुछ अनुभूतियां.....

मिट्टी का तन........
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कितने  आये  और  चले गये
कितने  बने  राजा  और  रानी
यादों के  गुलशन में खिले वही
दी राष्ट्र हित में जिसने कुर्बानी!!
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मिट्टी का तन  मिट्टी में मिल जाएगा
होगा कोई एक इतिहास रचा जाएगा
सभ्यता का आवरण ओढ़े बैठे लोग यहां
हत्यारा भी आज यहां शरीफ कहलाएगा!!

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सत्य  का द्वार  अध्यन नहीं अनुभूति है
सत्य को जानना तपस्चर्या से कम नहीं है
चैतन्य का सागर हृदय में निरंतर गतिमान है
इसे पहचानना ही सत्य की पहचान है !!

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छोटी सी जिन्दगी में व्यवधान बहुत है
तमाशा देखने वाले  यहां इंसान बहुत हैं
जिन्दगी का हम स्वयम ही बना देते तमाशा
वर्ना खुशनुमा जिन्दगी जीना आसान बहुत हैं!!
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             🌷उर्मिला सिंह


4 comments:

  1. सच तमाम साजो-सामान और झूठी शान सब धरी रह जाती है
    बहुत अच्छी प्रस्तुतियां

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  2. हार्दिक धन्यवाद कविता रावत जी

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  3. बहुत सुंदर प्रस्तुति दी

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