Thursday, 19 September 2019

एक अनुभूति जो ह्रदय के द्वारे दस्तक देती है.......

सजदे में सिर झुका..... मन में ज्वार उठा.......

हम सजदों  में हसरतों के ख़ातिर गिरते रहे
  तूँ नित्य नये रूपों में मुझे रोमांचित करते रहे
  बन्द पलकों में मेरे, नये नये रुप दिखाते रहे
  आज ये कैसी चेतना मनमें जागृति हुई
  हसरतों के पँख मैंने स्वयम ही कतर डाले
  आँखों के सभी आवरण हटने लगे
  जीवन आनन्द से ओतप्रोत हो उठा
  सजदे में सिर मेरा तेरे चरणों में झुक गया!!
 
              🌷उर्मिला सिंह

11 comments:

  1. बेहद खूबसूरत पंक्तियां 👌👌🌹

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  2. हार्दिक धन्यावाद प्रिय अनुराधा

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  3. बहुत सुन्दर सृजन दी जी
    सादर

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    1. स्नेहिल आभार प्रिय अनिता जी

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  4. हार्दिक धन्यावाद श्वेता जी आपको!

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  5. बहुत खूब.... सादर

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  6. हार्दिक धन्यवाद कामनी जी!

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  7. वाह!!!
    बहुत ही सुन्दर...

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    1. हार्दिक धन्यवाद सुधा जी

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  8. वाह दी बहुत बहुत सुंदर सृजन।

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    1. स्नेहिल धन्यवाद प्रिय कुसुम

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