Saturday, 29 February 2020

आशा की पतवार....

नाविक ले चल दूर कहीं दूर.......
जहाँ विस्वासों की कश्ती हो...
आशा की हो पतवार...
हम हो तुम हो और हो अपना प्यार.....
नाविक ले चल दूर कहीं दूर......

 जहाँ सूरज प्राणों में ऊष्मा घोले
 कुहू कुहू ‎अमराइ में कोयल बोले 
 ‎जहाँ मञ्जरी की खुशबू बागों में
 ‎साँसों में प्रीत प्यार की  संदल महके
 ‎नाविक ले चल दूर कहीं दूर....
 ‎
एतबारों की सीढ़ी पर चले जीवन भर
जहाँ सरगम मेरी ,आवाज तुम्हारी हो
जहाँ हास तुम्हारा हो खनक हमारी हो
नाविक ले चल दूर कहीं दूर.......
                           #उर्मिल

1 comment:

  1. शुभ प्रभात यशोदा जी साथ ही इस रचना का चयन ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर साझा करने के लिए ह्रदय से धन्य वाद स्वीकार करें!

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