कान्हा ना कर......
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कान्हा ना कर मों संग बरजोरी
छुप छुप देखत सखियाँ मोरी
लाल गुलाल रंग भई चोली
नख सिख डूबी प्रीत रंग में तोरी!
कान्हा ना कर मों संग बर जोरी..........
प्रीत रंग से दूजा रंग न कोई,
अब न चढ़े लाल गुलाबी कोई
छोड़ दे नटखट नर्म कलाई
यूं ना कर कान्हा जोरा जोरी!
कान्हा ना कर मों संग बरजोरी.......
बाज रही पाव पैजनियाँ मोरी
चमकत मुख पर नथुनियां मोरी
बजा प्रीत रस की आज बाँसुरिया.......
तब खेलूँ तुझ संग होली सावरिया....
बांकी चितवन से न देख साँवरिया
कान्हा ना कर मों संग जोरा जोरी।।
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उर्मिला सिंह
बहुत बहुत सुन्दर
ReplyDeleteआभार आपका तथा होली की हार्दिक शुभकामनाएं
Deleteबहुत सुंदर..
ReplyDeleteहोली की शुभकामनाएँ।
धन्यवाद पम्मी जी ,होली की ढेरों शुभकामनाएं।
Deleteमुग्ध करती रंग बिखेरती रचनाएं - - शुभकामनाओं सह।
ReplyDeleteआभार,आपका ।
Deleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद ओंकार जी।
Deleteहोली की हार्दिक शुभकामनाएं तथा हमारी रचना को चर्चा मंच पर शामिल करने के लिए धन्यवाद।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर सृजन ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर रस रंग भरा होली गीत , सादर शुभकामनाएं ।
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