Tuesday, 20 July 2021

कर्म पथ....

अंतर्मन जागृत हो  ऐसा कुछ यतन करो
कण कण में रमने वाले को पाने का जतन करो।

     मन में सुचिता सद्भाव रहे सदा तेरे
 जीवन पथ आलोकित हो कुछ ऐसा जतन करो।

   कर्म पथ में शूल,कभी पुष्प मुस्काते हैं
शूलों में जीने की आदत हो कुछ ऐसा मनन करो।

     जीवन के तीन पहर तो बीत गए खाली....
अन्तिम प्रहर,सही होजाय कुछ ऐसा चिंतन करो।

    प्रत्येक विधान प्रभु का मंगलमय होता है
 श्रद्धा विश्वास  मन में रहे ऐसा सुमिरन करो।

आसुरी प्रवृति का नाश करुणामय ही करते 
जीवन सुपथ पर चलते रहने का ऐसा यतन करो।

जिस धरती पे जन्म लिया ऋणी रहोगे आजन्म
  सत्ता मोह छोड़ देश हित में कुछ कर्म करो।।
             
              उर्मिला सिंह

   

 






 


   

7 comments:

  1. अध्यात्म और जीवन दर्शन से ओतप्रोत भाव भरी उत्कृष्ट रचना।

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  2. हार्दिक धन्यवाद प्रिय जिज्ञासा जी।

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  3. बहुत बहुत सुन्दर

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    1. हार्दिक आभार आलोक जी।

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  4. "जिस धरती पे जन्म लिया ऋणी रहोगे आजन्म
    सत्ता मोह छोड़ देश हित में कुछ कर्म करो।।" - सच .. क़ुदरत का ही एक स्वरुप- धरती .. जिस की अनुकंपा ही मानव जीवन का अटल सत्य है और हमें इसका हर पल एहसानमंद, शुक्रगुज़ार होना ही चाहिए .. शायद ...
    इसके लिए युवा पीढ़ी को भी कर्मकांडों के आडम्बर की जगह इसकी महत्ता बतलानी होगी, ताकि वह अपने भावी जीवन के तीनों पहर में ही ऐसा शुभ कार्य कर सकें और सोच सकें .. शायद ...

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  5. जी मान्यवर आपका बहुत बहुत धन्यवाद आपने इतनी बारीकी से पढ़ा।

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  6. बहुत सुंदर सृजन दी आध्यात्मिक दर्पण सी ।
    अप्रतिम।

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