Sunday, 15 December 2024

हृदय में क्रंदन उर ज्वाला,जीवन गीत लिखूं कैसे 

अश्कों के सजल रथ ,मोम से ख्वाब  पिघलते

व्यथा की पीर दिशाओं में हवाओं के संग भटकते

बिखरे स्वप्न फूलों के,मन अंचल में छुपाऊं कैसे?


 हृदय में क्रंदन उर ज्वाला,जीवन गीत लिखूं कैसे


भावों के गीत मनोरम सब जीवन से लुप्त हुए 

आहों की सरगम में जीवन के दिन रात व्यतीत हुए।

आरोह,अवरोह,पकड़ सब भूल गया विकल मन

भव सागर के लहरों से जीवन नैया पार करूं कैसे।


हृदय क्रंदन उर ज्वाला जीवन गीत लिखूं कैसे...

 

स्वर खोया शून्य में,अग्नि में समर्पित तन 

उड़ती चिंगारियों के बाद बचेगी थोड़ी भस्म

सजल दृगो की करुण कहानी..गंगा में प्रवाहित 

वेदना कणों की समर्पण के गीत लिखूं कैसे।


हृदय क्रंदन उर ज्वाला जीवन गीत लिखूं कैसे....।


                  उर्मिला सिंह



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