Saturday, 2 January 2021

भावों,शब्दो से बना........" गुलदस्ता -ए-गज़ल"

 गरीबों से मोहब्बत भगवान की इबादत है
 मां बाप की दुवाएं जिन्दगी की अमानत है।।

  अपने स्वाभिमान को सर्वदा जगाए रखना
  जन्मभूमि की मिट्टी का कर्ज अदा करते रहना।।

  उजाले बाटने की ह्रदय में सदा  चाहत रखना
  इंसानियत का यही उसूल है जहां को बताते रहना।

  मोहब्बत की खुशबू से दिल को सजाये रखना
  तन्हाईयों को उन्ही यादों से गुलज़ार करते रहना।।

  उम्र भर दिलों को जीतने की हसरत रहे 
  नफ़रतों के नही, मोहब्बत के जाम छलकाते रहना।

  कोइ मज़हब नही सिखाता कत्ले आम करना
  ख़ुदा के बन्दे हैं सभी बन्दगी का पैगाम देते रहना।।

  गुनाहों के अंधेरों को हटाओ दिल आईना बन जाए
  शांति सुकून सौहार्द की मशाल देश में जलाते रहना।।
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                     उर्मिला सिंह
  

 
  
  
 

9 comments:

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    1. शुक्रिया डॉ रूपचन्द्र शास्त्री जी।

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  2. गुनाहों के अंधेरों को हटाओ दिल आईना बन जाए
    शांति सुकून सौहार्द की मशाल देश में जलाते रहना।।
    सुन्दर रचना। ।।।।।।

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    1. पुरुषोत्तम कुमार सिंह जी बहुत बहुत धन्यवाद।

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  3. Replies
    1. विभा जी हार्दिक धन्यवाद आपका।

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  4. नव वर्ष मंगलमय हो। सुन्दर सृजन।

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    1. हार्दिक धन्यवाद सुशील कुमार जोशी जी आपको
      नववर्ष की अशेष शुभकामनाएं।

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  5. आभार आपका दिग्विजय अग्रवाल जी हमारी रचना को शामिल करने के लिए।

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