Saturday, 16 January 2021

देश तुम्हारा है सरकार तुम्हारी है.....

देश तुम्हारा है सरकार तुम्हारी है...
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अपनी ढपली अपना राग ,वैमनष्य का बीज बोना है
किसान महज़  बहाना  है सत्ता की कुर्सी  निशाना है
सुलझाने की कौन कहे उलझाने वाले बैठे बहुतेरे यहां
हर कार्यों में नुक्स निकालो विपक्ष का यहीं याराना है।

मौका परस्त ,बबूल के कांटे जैसे फैल रहे हिन्दोस्तान मे
मर्यादाहीन शब्दों के नारे लगते अन्नदाताओं के दरबार में
जिद्द की आड़ ले मख़ौल उड़ाते सरकार और कोर्ट का..
कोई तो पूछो  ऐसे अन्नदाता हुए कभी क्या इस देश में।

विचारोंमें  शुद्धता  विनम्रता भारत देश की पहचान है 
अन्नधन से भरता देश का भंडार वह देश का किसान है
शतरंज की बाजी बिछाए हारजीत का खेल चल रहा यहां...
सर की चम्पी पैर की मालिश क्या किसान करवाता यहां?


अधिकार है धरना देना तो कर्तब्यओं का भी निर्वाह करो
 दुहाई  प्रजातन्त्र की देते हो तो बच्चों जैसा अड़ना छोड़ों
 देखो समझो बात करो सरकार तुम्हारी है देश तुम्हारा है 
 भारत माँ का गौरव धूमिल हो मत ऐसा कोई काम करो।।

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                         उर्मिला सिंह





5 comments:

  1. Replies
    1. हार्दिक धन्यवाद डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री जी

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  2. यथार्थपूर्ण एवं सारगर्भित सृजन के लिए बधाई आदरणीय उर्मिला सिंह जी, सादर नमन..

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  3. सत्य का दर्पण, मानवता का हनन हो रहा है स्वार्थ मे अति उत्तम, बधाई हो सादर नमन ,

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