वाह ....
आभार मनोज कयालजी।
सार्थक मुक्तक।
हार्दिक धन्यवाद डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री जी।
बहुत बढ़िया
वाह !!!!!! जो सच्चा है वाही अकेला है | बहुत खूब उर्मि दीदी | छद्म लोग तो चातिकारों का जमावड़ा रखते हैं अपने आसपास |
आभार प्रिय रेणू ।
वाह ....
ReplyDeleteआभार मनोज कयालजी।
Deleteसार्थक मुक्तक।
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री जी।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया
ReplyDeleteवाह !!!!!!
ReplyDeleteजो सच्चा है वाही अकेला है | बहुत खूब उर्मि दीदी | छद्म लोग तो चातिकारों का जमावड़ा रखते हैं अपने आसपास |
आभार प्रिय रेणू ।
ReplyDelete