Saturday, 29 May 2021

प्रथम.... पाती

प्रथम  -  पाती ....!!

पात पात हर्षित....
मन- सुमन खिल उठे !
प्रिय! पढ़ी जब हमने प्रथम पाती तुम्हारी... !!

बिन बसन्त के मन,
हो बसन्ती झूमने लगा !
ह्रदय उद्गार पवन संग.. सन्देश भेजने लगा..!
अधखिली कलियाँ भी अंगड़ाई  लेने लगीं...!!

प्रिय!पढ़ी जब हमने प्रथम  पाती  तुम्हारी ...!!

प्रेम पिपासा अधरों पे आकुल...
वीणा बजाती यामनी हो के व्यकुल...
मिलन के स्वप्न उनींदी आंखें सजाती...!

प्रिय!पढ़ी जब हमने प्रथम पाती तुम्हारी ...!!

शब्द-शब्द  प्रीत रंग में रंगने लगे...
शून्य में खोए सुर,आलाप 
आज फिर से स्वर साधने लगे.......!

प्रिय ! पढ़ी जब हमने प्रथम पाती तुम्हारी ...!! 

बदली नज़र आने लगी दुनियाँ ये सारी....
बजती हो जैसे चहुँओर शहनाई...
सांसों में कम्पन,धड़कने रुकने लगी.....!

प्रिय!पढ़ी जब हमने ,
प्रथम पाती तुम्हारी ...!! 
 
          ....उर्मिला सिंह

18 comments:

  1. वाह !आज के दमघोटू माहौल में आपकी सुंदर रचना मन प्रफुल्लित कर गई । आपको बहुत शुभकामनाएं उर्मिला दीदी ।

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  2. स्नेहिल धन्यवाद प्रिय जिज्ञासा जी रचना पसन्द आई आपको इसके लिए पुनः धन्यवाद।

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  3. मन के शब्दों को जब उकेरा जाता है तब ऐसी ही कोई कविता बनती है...। बहुत बधाई

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  4. हार्दिक धन्यवाद संदीप जी।

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  5. बहुत सरस मधुर रचना ।

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    1. हार्दिक धन्यवाद आलोक सिन्हा जी।

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  6. प्रथम प्रेम पाती....क्यूँ न ले आए बसंत।।।।
    सुन्दर रचना।

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा जी।

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  7. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (31-05-2021 ) को 'नेता अपने सम्मान के लिए लड़ते हैं' (चर्चा अंक 4082) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है।

    चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।

    यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।

    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

    #रवीन्द्र_सिंह_यादव

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    1. रविन्द्र सिंह यादव जी आपका बहुत बहुत आभार हमारी रचना को चर्चा मंच पर रखने के लिए।

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  8. बिन बसन्त के मन,
    हो बसन्ती झूमने लगा !
    ह्रदय उद्गार पवन संग.. सन्देश भेजने लगा..!
    अधखिली कलियाँ भी अंगड़ाई लेने लगीं...!!

    प्रिय!पढ़ी जब हमने प्रथम पाती तुम्हारी ...!!
    प्रथम प्रेम पाती के अद्भुत एहसासों को बहुत ही सुन्दर शब्दबद्ध किया है आपने...
    वाह!!!

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    1. सुधा देवरानी जी बहुत बहुत शुक्रिया।

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  9. बिन बसन्त के मन,
    हो बसन्ती झूमने लगा !
    ह्रदय उद्गार पवन संग.. सन्देश भेजने लगा..!
    अधखिली कलियाँ भी अंगड़ाई लेने लगीं...!!
    👌👌वाह! बहुत ही बेहतरीन 👌👌👌

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद मनीष गोस्वामी जी।

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  10. वाह दी! पढ़कर हम भी झूमने लगे।
    श्रृंगार को कितने कोमल और शालीनता से निभाया है आपने हाँ पचपन साल पूरे हो गये पर वो पाती आज भी बसी है आपके हृदय आंगन में ।
    शादी की पचपनवीं सालगिरह पर हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई।

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    1. आप भी न प्रिय कुसुम.....बस मन में आया लिख दिया आपकी इतनी प्यारी शुभकामना के लिए स्नेहिल धन्यवाद प्रिय बहन।

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  11. वे प्रथम स्पंद सदा ही विशेष होते हैं।

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    1. आभार परवीन पाण्डेय जी।

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