Sunday, 20 June 2021

ग़ज़ल...

बादलों की तरह  होती हैं खुशियां कोई जानता   नही ।
कब कहाँ बरस जाएंगी ये खुशियां कोई जानता नही।।
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बद्दुआएं जुबाँ से ही नही दिल से भी निकल जाती हैं
दुखी ह्रदय के आँसूं  भी बद्दुआ बन जाती है।
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संघर्षों, मुसीबतों, परेशानियों से घबराना कैसा...
सितारे अंधेरों में ही चमकते हैं सोच के  देखना ज़रा।।
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परवरदिगार, जुल्म नही करता कभी बंदों पर
अपने
बुराई के अंजाम से  अवगत कराने का भार है उसपे।।
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जिन्दगी-ए सफ़र में  कितना समान रहता है
होतें वे नसीब वाले जिनके संग ईमान होता है।।
                   उर्मिला सिंह
                 💐💐💐💐
 





 

20 comments:

  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 22 जून 2021 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. बहुत बहुत आभार आपका दिव्या जी हमारी रचना को शामिल करने के लिए।

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  2. संघर्षों मुसीबतों, परेशानियों से घबराना कैसा...
    सितारे अंधेरों में ही चमकते हैं सोच के देखना ज़रा।। बहुत सुंदर पंक्तियां

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  3. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल .मंगलवार (22 -6-21) को "योग हमारी सभ्यता, योग हमारी रीत"(चर्चा अंक- 4103) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
    --
    कामिनी सिन्हा

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    1. कामनी जी हार्दिक धन्यवाद हमारी रचना को लिंक चर्चा में शामिल करने के लिए।

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  4. बहुत ही सुन्दर संदेशपूर्ण रचना ।

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    1. हार्दिक धन्यवाद जिज्ञासा जी।

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    1. हार्दिक धन्यवाद आपका।

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    1. संगीता जी बहुत बहुत आभार।

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  7. संघर्षों, मुसीबतों, परेशानियों से घबराना कैसा...
    सितारे अंधेरों में ही चमकते हैं सोच के देखना ज़रा।।--बहुत अच्छी पंक्तियां

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    1. संदीप जी हार्दिक धन्यवाद उत्साह वर्धन के लिए।

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  8. परवरदिगार, जुल्म नही करता कभी बंदों पर
    अपने
    बुराई के अंजाम से अवगत कराने का भार है उसपे।।
    वाह!!!!
    एक से बढ़कर एक सुन्दर संदेशपूर्ण शेर
    लाजवाब गजल।

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    1. अन्तर्मन से आपका आभार हौसला बढ़ाने केलिए।

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    1. आलोक सिन्हा जी शुक्रिया।

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  10. बेहतरीन ग़ज़ल आ.दी।

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    1. प्रिय बहन अनुराधा स्नेहिल धन्यवाद ।

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