Monday, 18 October 2021

प्रार्थना का मूल रूप.....

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प्रार्थना जितनी गहरी होगी 
उतनी  ही  निःशब्द होगी
कहना चाहोगे बहुत कुछ 
कह ना पाओगे कभी कुछ।

विह्वल मन होठों को सी देंगे
अश्रु आंखों के सब कह देंगे
संवाद नही मौन चाहिए .....
 प्रभु मौन की भाषा समझ लेंगे।।
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                        उर्मिला सिंह

        
       
    
          
 



  
  
 
 
 


 
 
 

8 comments:

  1. मैं इस कविता के भाव से पूर्णरूपेण सहमति व्यक्त करता हूँ।

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  2. वाह!दी गहन भाव।
    आध्यात्मिक सा सृजन।

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    1. स्नेहील धन्यवाद प्रिय कुसुम

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  3. Replies
    1. बहुत बहुत आभार आपका अनिता सुधीर जी।

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  4. हार्दिक धन्यवाद मान्यवर हमारी रचना को चर्चा मंच पर शामिल करने के लिए।

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  5. सही कहा ...गहन भाव ।
    लाजवाब।

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