Sunday, 10 October 2021

नव दुर्गा नव रूप है रूप अभिन्न

विश्व वन्दिता सर्व पूजिता तेरी जय जय कार हो 
ब्रम्ह रूपणी सर्व मंगला भवानी जय जय कार हो
तेरे नव रूप को मईया जन जन वन्दन करता ....
हाथ खड्ग शेर सवारी दुर्गा तेरीजय जय कार हो।

विश्व वन्दिता तेरी जय जय कार हो.....

देवों की करुण पुकार सुन नौ रूप धरे तुमने
दुष्टों से मुक्ति दिलाने की ठान लिया मां तुमने
वाहन अलग अलग हैं शस्त्र तुम्हारे भिन्न भिन्न
नव दुर्गा हो मां तुम ,रूप तुम्हारा है अभिन्न।।

विश्व वन्दिता तेरी जय जय कार हो....

माता जड़ चेतन के प्रत्येक अंकुरण में तुम हो
पैचासिक वृत्तियों का करती हरण तुम हो
तेरी आराधना से मन गंगाजल से पावन होता
अभिमान मुक्त मानव मोक्ष प्राप्त हो जाता।।

विश्व वन्दिता तेरी जय जय कार हो...

हर दिन नव रूप तुम्हारा नया सन्देसा देता 
अष्टम रूप  तुम्हारा मां महा गौरी का होता
नवम रूप सिद्धिदात्री बन मोक्षदायिनी होती
तेरी महिमा से मां सकल जगत सुख पाता....।।

विश्व वन्दिता माता तेरी जय जय कार हो....

          उर्मिला सिंह







 


9 comments:

  1. माँ की सुंदर वंदना

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    1. धन्यवाद अनिता सुधीर जी।

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  2. माँ दुर्गा के चरणों में अर्पित सुंदर शब्दांजली!--ब्रजेंद्रनाथ

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  3. जय माता दी...

    हमारी रचना को शामिल करने के लिए बहुत बहुत
    धन्यवाद यशोदा जी।

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  4. आभार कामनी जी हमारी रचना को चर्चा अंक में शामिल करने के लिए।

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  5. नवदुर्गा की स्तुति में बहुत ही लाजवाब सृजन।
    वाह!!!

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