Tuesday, 14 April 2020

मौन.....

वाणी को ही नही
मन को मौन होने दो
लेखनी को ही नही
शब्दों को मौन होने दो!

मौन की मुस्कान....
कुछ और गहरी होने दो
अन्तर्मन में चलते द्वंद को .
मौन सागर में प्रवहित होन दो!

ह्रदय - तम आलोकित
सरल स्वच्छ हो जाने दो
मौन - साधना मे लिप्त मन - 
को सरल प्रवाह में बहने दो...! 

मौन  ह्रदय  तट से 
सतरंगी  पुष्प झरने दो 
अन्तर्मन के मौन गूंज से 
जीवन  सुर ताल से सजने दो! 

      उर्मिला सिंह 







1 comment:

  1. ....मौन हृदय तट से,
    शतरंगी पुष्प झरने दो..
    अंतर्मन के मौन गूंज से ,
    जीवन सुरताल से सजने दो..!!
    निः शब्द मौन धारण पर बहुत सुंदर चित्रण अपनी अविरल प्रवाह रत लेखनी से चित्रित...
    भव्य रचना...
    दिलों को छू लेने वाली....
    💐💐


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