Tuesday 14 April 2020

जिन्दगी की किताब.....

जिन्दगी की किताब में
मैंने तेरा नाम लिख तो दिया
पर वक्त ने हँस के पूछा - - -
पहिचानोगी कैसे?
ह्रदय ने कहा......
उसके स्नेहिल एहसास.....से 
 जो दिल के करीब रहतें हैं
वक्त  खिल खिला के हँस पड़ा
हँसते क्यों हो..? 
मैं वक्त हूँ.....
लोग गहरे से गहरे रिश्ते भी....
भूल जाते हैं.....
एहसास सिसकता रह जाता है
यही दुनिया की रीत है......

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