Friday, 20 November 2020

कली आत्मा भौरें. ...

कली  आत्मा भौरें  दुर्गुण तन है माया जाल
जीवन तृष्णा में उलझा भटक रहा मन बेहाल।।

अंधेरा बहुरूपिया ,(कोरोना)आये धर कर बहुरूप
आशा विजयी,झिलमिलाई धर दीपक का रूप।।

श्वेतशुभ्र-शरद,और बसन्त दोनों देता है शुभ संदेश
दोनों आनन्द के पर्याय हैं दोनों के अलग अलग संदेश

बसन्त,उल्लास बिखेरता स्थाई भाव रति का है द्योतक
शरद,शान्त श्वेत कपोल सम आंतरिक समृद्धि का द्योतक

फूलो को चुनतें हैं जैसे शब्दों को उसी तरह चुनना है
गीत ग़ज़ल कविता के भांवो में सोच समझ कर गूँथना है।।

          उर्मिला सिंह











 

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