Monday, 30 November 2020

हम उसी के हैं....

बात  दिल की कभी होठो  पे  लाई  न गई ,
 हम  उसी  के  हैं , उसी  से  बताई  न गई !

रात , सिरहाने  बैठी  थपकियाँ  देती रही ,
आंखों से पल, एक पलकें  झपकाई न गई !

 उसे सौगात मैंने चंद्रिका की रोशनी दे दी
 जुगनुओं की रोशनी उससे  भिजवाई न  गई !

जन्म जन्म  से परीक्षित  सीता  ही  होती रही ,
केचुली  अभिमान  की उससे  हटाई न गई !

भाव शब्द गीत  उसी में समाहित हो गये मेरे
गीत मेरे रातरानी से ,उससे महकाई  न गई !
                                           #उर्मिल





5 comments:

  1. ह्रदयतल से धन्यवाद डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
    जी।मुझे सबसे बड़ी खुशी इस बात की है कि हमारी रचना की चर्चा भाई रविन्द्र सिंह यादव जी की बेटी के शुभ विवाह की हार्दिक बधाई पर होगी।

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  2. हार्दिक आभार यशोदा जी हमारी रचना को चर्चामंच पर शामिल करने के लिए।

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  3. बहुत बहुत धन्यवाद मान्यवर।

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  4. सुन्दर प्रस्तुति

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