Thursday, 26 November 2020

ऐसा कोई गीत लिखो प्रिय.....

ऐसा कोई गीत लिखो प्रिय 
आसूं मुस्कानों में ढल जाए
बीच धार में बहती कश्ती को...
शाहिल का सहारा मिल जाए।।

आहों के गांव बसे हैं धरती पर
 पीड़ा का नृत्य होरहा धरती पर
 नेह नीर की फुहार बरसाओ प्रिय...
 करुणा,दया की सरिता बह जाए।।

ऐसा कोई गीत लिखो प्रिय......।

इंसानों की बस्ती में इंसान नही
मन्दिर मस्जिद में भगवान नही
गीता कुरान महज़ पुस्तक बन रहगई
ऐसा सुर से साज सजाओ प्रिय.....
भाओं के सागर से मन उद्देलित हो जाए।।

ऐसा कोई गीत लिखो प्रिय ... .।

चाँदनी रात खिलखला कर हंसे
फूलो की मधुरिम सुगन्ध बिखरे
मुर्झाये चेहरों पर बसन्त खिले......
दिल से दिल की दूरी मिट जाए
इंसानियत से आलोकित हर मन हो जाए।।


ऐसा कोई गीत लिखो प्रिय....।

अब न कलियां कोई मुर्झाए
अब न बागवां कोई आसूं बहाए 
बचपन के सपनों की मजबूत नीव हो....
नारी को वस्तु या भोग्या न समझे कोई
अश्क एक दूसरे के आँखों के अपने हो जाए।।

ऐसा कोई गीत लिखों प्रिय..... ।।
   
     / ******0******
              उर्मिला सिंह









11 comments:

  1. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (२८-११-२०२०) को 'दर्पण दर्शन'(चर्चा अंक- ३८९९ ) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    --
    अनीता सैनी

    ReplyDelete
    Replies
    1. हार्दिक आभार अनिता सैनी जी चर्चा मंच पर हमारी रचना को शामिल करने के लिए।

      Delete
  2. हर हृदय की पुकार है --- ऐसा ही कोई गीत । अति सुन्दर ।

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत शुक्रिया अमृता तन्मय जी।

      Delete
  3. अब न कलियां कोई मुर्झाए
    अब न बागवां कोई आसूं बहाए
    बचपन के सपनों की मजबूत नीव हो....
    नारी को वस्तु या भोग्या न समझे कोई
    अश्क एक दूसरे के आँखों के अपने हो जाए।।

    बहुत सुंदर आकांक्षाओं युक्त बहुत सुंदर गीत 🙏
    बहुत खूब उर्मिला जी 💐

    ReplyDelete
    Replies
    1. हार्दिक आभार आपका Dr.शरद सिंह जी।

      Delete
  4. काश! कोई लिख पे ऐसा गीत। बेहतरीन रचना।

    ReplyDelete
  5. ह्रदय से आभार यशवन्त माथुर जी।

    ReplyDelete
  6. वाह!!!
    बहुत ही सुन्दर गीत
    लाजवाब।

    ReplyDelete
  7. उम्दा सोच का प्रतिफल
    सुंदर गीत

    ReplyDelete
  8. सुंदर जगत कल्याण के भावों से भरा सुंदर गीत ।
    दी बहुत सुंदर सृजन।

    ReplyDelete