जिह्वा पर प्रभु नाम रहें , नैनो में रघुनाथ
सिय की छवि ह्रद में बसे, लखन हनु रहें साथ।।
सत्कर्मों में मन लिप्त रहे,जीवन का हो ध्येय
दीन दुखी के कष्ट हरें, कभी न सोचे हेय।।
प्रीत डोर ऐसी बन्धे ,जैसे चाँद चकोर
दूर से निरखत रहें,प्रीत करें पुरजोर।।
मिट्टी चन्दन है देश की , माथे लेउ लगाय
देश हित प्राण उत्सर्ग हो,जन्म सफल होजाय।।
सुख दुख खेल जीवन का,फँसा हुआ हर कोय
कर्म क्षेत्र यहीं तुम्हारा ,बिन कर्म मुक्ति ना होय ।।
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उर्मिला सिंह
सुंदर दोहे...
ReplyDeleteउत्कृष्ट रचना ..
💐💐
गागर मे अमाय रहा सागर
ReplyDeleteउत्तम वचनो से गूँथे हार
अनिता सैनी जी सर्वप्रथम शुभप्रभात ...
ReplyDeleteहमारी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए ह्रदय से धन्यवाद।
बहुत सुन्दर।
ReplyDeleteदोहे तो नहीं हैं ये।
इसी लिए मैंने दोहे नही लिखा मान्यवर।
ReplyDeleteबहुत खूब,बेहतरीन अभिव्यक्ति,सादर नमन
ReplyDeleteआभार मान्यवर आपका।
ReplyDeleteवाह बहुत सुंदर दोहे दी।
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद प्रिय अनुराधा बहन।
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ReplyDeleteजीवन के विभिन्न रंगों को संजोते सुंदर दोहे आदरणीय दीदी | आखिर अध्यात्म और मोक्ष ही तो जीवन का परम लक्ष्य है | सादर -
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