व्यथा के पन्नो पर......
सदियों के बाद....
समझ में आई बात
व्यथा के पन्नों पर
किसने लिख दी रात।।
पत्थर की दीवारों पे
किसने नाजुक फूल उकेरे
तन्हाई की भींगी रातों में
क्यों यादों के मोती चमके।।
कुछ लाल कनेर सरीखे
आशाओं के स्वप्न पले
व्यथित ह्रदय समझ न पाया
कब लहरों के संग बहे।।
उर की मौन व्यथा पन्नो ने समझा
मन के उद्गारों को शब्दों ने अर्थ दिया
मन्द मन्द अधरों की मुस्कानों ने
मुझसे जीवन का सत्य कहा।
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उर्मिला सिंह
"उर की मौन व्यथा पन्नों ने समझा.."
ReplyDeleteमन के उद्गारों को शब्दों ने आदत दिया.."
वाह आज प्रातः अच्छी रचना के साथ दिन का आगाज़ हुआ....
मङ्गलमय सुप्रभातम...💐💐
उर की मौन व्यथा पन्नो ने समझा
ReplyDeleteमन के उद्गारों को शब्दों ने अर्थ दिया
मन्द मन्द अधरों की मुस्कानों ने
मुझसे जीवन का सत्य कहा।
बेहतरीन सृजन.. उर्मिला जी ,सादर नमन
हार्दिक धन्यवाद कामनी जी आपका।
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद मान्यवर।
Deleteसुन्दर सृजन।
ReplyDeleteह्र्दयतल से धन्यवाद सुशील कुमार जोशी जी।
Deleteसुंदर सृजन उर्मिला जी ।
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद शुभा जी।
Deleteबहुत ही सुंदर सृजन आदरणीय दी ।
ReplyDeleteह्र्दयतल से धन्यवाद प्रिय बहन अनिता।
Deleteबेहतरीन और लाजवाब सृजन उर्मिला जी !
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद मीना जी।
Deleteउर की मौन व्यथा पन्नो ने समझा
ReplyDeleteमन के उद्गारों को शब्दों ने अर्थ दिया
मन्द मन्द अधरों की मुस्कानों ने
मुझसे जीवन का सत्य कहा।
बहुत खूब उर्मि दीदी , सरल ,सहज शब्दों में मन की व्यथा लिख दी | तन्हाई मेंजीता मन कुछ भी कर सकता है | भावपूर्ण रचना के लिए हार्दिक शुभकामनाएं| जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई | सादर