Friday, 7 August 2020

व्यथा के पन्नो पर......

व्यथा के पन्नो पर......

सदियों के बाद....
समझ में आई बात
व्यथा के पन्नों पर
किसने लिख दी रात।।

पत्थर की  दीवारों पे
किसने नाजुक फूल उकेरे
तन्हाई की भींगी रातों में
क्यों यादों के मोती चमके।।

कुछ लाल कनेर सरीखे
आशाओं  के  स्वप्न पले
व्यथित ह्रदय समझ न पाया
कब लहरों के संग बहे।।

उर की मौन व्यथा पन्नो ने समझा
मन के उद्गारों को शब्दों ने अर्थ दिया
मन्द मन्द अधरों की मुस्कानों ने
मुझसे जीवन का सत्य कहा।
           *****0****
                      उर्मिला सिंह

14 comments:

  1. "उर की मौन व्यथा पन्नों ने समझा.."
    मन के उद्गारों को शब्दों ने आदत दिया.."
    वाह आज प्रातः अच्छी रचना के साथ दिन का आगाज़ हुआ....
    मङ्गलमय सुप्रभातम...💐💐

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  2. उर की मौन व्यथा पन्नो ने समझा
    मन के उद्गारों को शब्दों ने अर्थ दिया
    मन्द मन्द अधरों की मुस्कानों ने
    मुझसे जीवन का सत्य कहा।
    बेहतरीन सृजन.. उर्मिला जी ,सादर नमन

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  3. हार्दिक धन्यवाद कामनी जी आपका।

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  4. बहुत सुंदर

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    1. हार्दिक धन्यवाद मान्यवर।

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    1. ह्र्दयतल से धन्यवाद सुशील कुमार जोशी जी।

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  6. सुंदर सृजन उर्मिला जी ।

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    1. हार्दिक धन्यवाद शुभा जी।

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  7. बहुत ही सुंदर सृजन आदरणीय दी ।

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    1. ह्र्दयतल से धन्यवाद प्रिय बहन अनिता।

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  8. बेहतरीन और लाजवाब सृजन उर्मिला जी !

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    1. हार्दिक धन्यवाद मीना जी।

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  9. उर की मौन व्यथा पन्नो ने समझा
    मन के उद्गारों को शब्दों ने अर्थ दिया
    मन्द मन्द अधरों की मुस्कानों ने
    मुझसे जीवन का सत्य कहा।
    बहुत खूब उर्मि दीदी , सरल ,सहज शब्दों में मन की व्यथा लिख दी | तन्हाई मेंजीता मन कुछ भी कर सकता है | भावपूर्ण रचना के लिए हार्दिक शुभकामनाएं| जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई | सादर

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