दिल की गलियों में इंसानियत का उजाला हो तो बेहतर है
करुणा,प्रेम रस से ह्रदय सिंचित हो तो बेहतर है।
कलह से भरा घर भला खुशियों से आबाद कहाँ होता है
रिश्तों में खुसबू-ए वफ़ा त्याग की बुनियाद हो तो बेहतर है।
किसी के अवगुणों की चर्चा में वक्त जाया नही करते
अपनी कमियों पर भी एक नजर डालो तो बेहतर है।
ख्वाइशों के चक्रव्यूह में उलझना नादानी के सिवा कुछ नही
सामर्थ देख कर अपनी गठरी बाधते तो बेहतर है।
गुज़रे वक्त के दामन पर लिखी कहानियां राहें सुझाती हैं
सम्भल कर चलते ,गद्दार धोखे बाजों से तो बेहतर है।।
खामोशियाँ भी तन्हाइयों से बहुत कुछ बता जाती हैं
बस समझने वाला प्यारा सा एक दिल हो तो बेहतर है।।
उर्मिला सिंह
बहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteह्र्दयतल से आभार आपका ओंकार जी
Deleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteआभार आपका मान्यवर।
Deleteबस समझने वाला प्यारा सा एक दिल हो तो बेहतर है,
ReplyDeleteवाह दी लाजवाब! हर शेर उम्दा/बेहतरीन।
स्नेहिल धन्यवाद प्रिय कुसुम।
Deleteह्रदय से आभार आपका हमारी रचना को चर्चा अंक में शामिल करने के लिए।
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद डॉ. रूपचंद शास्त्री जी हमारी रचना को चर्चा अंक में शामिल करने के लिए।
ReplyDeleteकिसी के अवगुणों की चर्चा में वक्त जाया नही करते
ReplyDeleteअपनी कमियों पर भी एक नजर डालो तो बेहतर है। बहुत खून ! लाख टके की बात लिखी अपने आदरणीय दीदी |